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डायबिटीज रोगियों में क्यों बढ़ जाता है ब्लड प्रेशर का खतरा? जानिए इन दोनों बीमारियों का गहरा संबंध

 पहचान: ब्लड प्रेशर और डायबिटीज दो प्रमुख हत्यारे हैं।

डायबिटीज, जिसे मधुमेह कहा जाता है, और ब्लड प्रेशर, जिसे हाइपरटेंशन कहा जाता है, दोनों ही बीमारियाँ शुरुआत में बिना कोई लक्षण देकर शरीर को भीतर से नुकसान पहुँचाती हैं। लेकिन ये दोनों मिलकर खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में उच्च रक्तचाप होने की संभावना दोगुनी होती है, जैसा कि कई अध्ययनों ने पाया है। लेकिन ऐसा होता क्यों है? क्या इन दो रोगों में कोई जैविक संबंध है? इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि डायबिटीज में ब्लड प्रेशर का खतरा क्यों बढ़ जाता है, दोनों रोगों के बीच क्या संबंध है, और दोनों को संतुलित करने के लिए क्या उपाय हैं।



डायबिटीज क्या है?

डायबिटीज एक चयापचय रोग (metabolic disorder) है जिसमें शरीर में इंसुलिन की कमी होती है या इंसुलिन के प्रतिरोध होता है, जिसके कारण खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है।

डायबिटीज के मुख्य वर्ग हैं: 

1. टाइप 1 मधुमेह: ऑटोइम्यून इंसुलिन बनाने में बाधा डालता है।

 2. टाइप 2 मधुमेह: शरीर इंसुलिन को सही ढंग से नहीं उपयोग कर पाता। 

3. जेस्टेशनल रोग: गर्भावस्था के दौरान विकसित मधुमेह

ब्लड प्रेशर क्या है?

वह दबाव जिससे हृदय धमनियों में रक्त पंप करता है, ब्लड प्रेशर कहलाता है। साधारण रक्तचाप: हाइपरटेंशन: 140/90 mmHg या उससे अधिक 120/80 mmHg दिल, किडनी, और मस्तिष्क धीरे-धीरे ब्लड प्रेशर से प्रभावित होते हैं।

डायबिटीज और ब्लड प्रेशर का गहरा संबंध

1. इंसुलिन रेसिस्टेंस और रक्तचाप का सीधा नाता

टाइप 2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन का प्रभावी उपयोग नहीं कर पाता, तो कोशिकाओं में ग्लूकोज नहीं पहुँचता। शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन का स्तर इससे बढ़ता है। यह परिस्थिति रक्त वाहिकाओं पर प्रभाव डालती है और ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाले हार्मोन्स, जैसे नोरेपिनप्रिन, को प्रेरित करती है।

2. किडनी पर दबाव

डायबिटीज से किडनी की रक्त छानने (filtration) की क्षमता प्रभावित होती है। शरीर में सोडियम और पानी जमा होता है जब किडनी ठीक से काम नहीं करती, जो ब्लड वॉल्यूम और ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है।


3. रक्त वाहिकाओं की कठोरता (Atherosclerosis)

डायबिटीज में रक्त में अधिक ग्लूकोज होने से धमनियाँ सख्त और तंग हो जाती हैं। यह हृदय को अधिक दबाव में काम करना पड़ता है और रक्त प्रवाह में बाधा डालता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है।


4. मोटापा और खराब जीवनशैली

अस्वस्थ खानपान, मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता दोनों मधुमेह और उच्च रक्तचाप का एक आम कारण हैं। विशेष रूप से पेट की चर्बी हार्मोन असंतुलन का कारण बनती है, जो इन दोनों बीमारियों को बढ़ाता है।


क्यों डायबिटीज रोगियों के लिए हाई ब्लड प्रेशर ज़्यादा खतरनाक है?

  • डबल रिस्क: हृदय रोग, स्ट्रोक और किडनी फेलियर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
  • ऑर्गन डैमेज: आँखों, मस्तिष्क और नसों को स्थायी क्षति हो सकती है।
  • साइलेंट प्रोसेस: दोनों बीमारियाँ लंबे समय तक लक्षण रहित रह सकती हैं और पता चलते ही देर हो चुकी होती है।

American Heart Association के अनुसार, टाइप 2 डायबिटीज वाले 60-70% लोगों में हाई ब्लड प्रेशर भी पाया गया है।


डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में कैसे रखें?

1. सही आहार लें:

  • नमक और चीनी की मात्रा कम करें
  • साबुत अनाज, हरी सब्जियाँ और फाइबर युक्त आहार लें
  • प्रोसेस्ड फूड और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें

2. नियमित व्यायाम करें:

  • रोज़ 30 मिनट चलना, योग या हल्की कार्डियो एक्सरसाइज़ फायदेमंद है

3. वजन नियंत्रित रखें:

  • BMI 23 से कम रखें (एशियन आबादी के लिए)
  • पेट की चर्बी कम करना बेहद जरूरी है


4. नियमित दवा और मॉनिटरिंग:

  • डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं का नियमित सेवन करें
  • ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की समय-समय पर जांच करवाएं

5. धूम्रपान और शराब से परहेज करें:

  • ये धमनियों को संकुचित कर दोनों बीमारियों को और बढ़ाते हैं


निष्कर्ष: सावधानी ही बचाव है

ब्लड प्रेशर और मधुमेह दोनों “साइलेंट किलर” हैं। लेकिन दोनों मिलकर कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकते हैं। इसलिए, डायबिटीज होने पर ब्लड प्रेशर को हल्के में न लें। डॉक्टर की सलाह लेना और समय रहते अपने जीवनशैली में बदलाव करना लंबे और स्वस्थ जीवन जीने के लिए आवश्यक है।


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