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भारत में डायबिटीज़ का डेटा एनालिटिक्स (State-wise इनसाइट्स सहित)

 भारत दुनिया की सबसे बड़ी डायबिटीज़ आबादी वाले देशों में है—और यह बोझ लगातार बढ़ रहा है। इस ब्लॉग में हम भरोसेमंद सर्वे/स्टडीज़ के आधार पर भारत-स्तर और राज्य-स्तर (state-wise) की तस्वीर, पैटर्न, और उपयोगी एनालिटिक्स समझेंगे।


1.डाटा स्रोत और हम क्या माप रहें हैं !

  1. ICMR–INDIAB (2019–2021): 31 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में वयस्क (20+ वर्ष) आबादी पर आधारित सर्वे—राज्य-वार प्रिवेलेंस का सबसे ठोस स्रोत। इसी के नवीनतम समेकित परिणाम Lancet Diabetes & Endocrinology (2023) में प्रकाशित हैं। 
  1. NFHS-5 (2019–21): 15–49 आयु-वर्ग में self-reported/मापित संकेतकों से डायबिटीज़ का आकलन—यह राज्य-स्तर पर “कम उम्र के वयस्कों” का स्नैपशॉट देता है, इसलिए इसके प्रतिशत ICMR से अक्सर कम दिखते हैं। 
  2. केयर कंटिन्यूअम (Diagnosis-Treatment-Control): 2019–21 के राष्ट्रीय सर्वे से—पता चलता है कि कितने लोग पहचान, दवा और नियंत्रण तक पहुँचते हैं। 

2) भारत-स्तर की तस्वीर (High-level)

  1. कुल प्रिवेलेंस (वयस्क 20+): ICMR-INDIAB के अनुसार 11.4%। यानी हर 9 में 1 वयस्क को डायबिटीज़ है। 
  2. अंदाज़ित प्रभावित जनसंख्या: ICMR-INDIAB विश्लेषणों पर आधारित मीडिया समरी के मुताबिक ~10.1 करोड़ भारतीय डायबिटीज़ से जी रहे हैं; प्री-डायबिटीज़ ~13.6 करोड़। 
  3. शहरी बनाम ग्रामीण: अधिकतर मेटाबॉलिक NCDs (डायबिटीज़ सहित) शहरी क्षेत्रों में ज्यादा दिखे। 
  4. डायग्नोसिस-ट्रीटमेंट-कंट्रोल (2019–21): ~74% डायबिटीज़ वाले वयस्क पहचाने गए, ~59% दवा ले रहे थे और ~36% का शुगर नियंत्रण में था—यानी केयर-गैप अब भी बड़ा है।

3) State-wise पैटर्न (ICMR-INDIAB, 2019–21; वयस्क 20+)

  1. गोवा – ~26.4% (देश में सबसे ऊपर रिपोर्टेड) । 
  2. केरल – ~24% (लोकसभा में स्वास्थ्‍य मंत्रालय के उत्तर में उद्धृत; ICMR-INDIAB आधारित) । 
  3. पुडुचेरी, तमिलनाडु, पंजाब, चंडीगढ़ – हाई-प्रिवेलेंस क्लस्टर के रूप में दर्शाए गए (सटीक प्रतिशत अध्ययन में हैं; मीडिया/रिपोर्टिंग इन्हें “उच्च” समूह में रखती है)। 
  4. उत्तर प्रदेश – ~4.8% (सबसे कम के बीच) । 

NFHS-5 (15–49 वर्ष, self-reported) से पूरक संकेत:

  1. इस कम उम्र वाले समूह में राज्य-वार प्रिवेलेंस सामान्यतः कम दिखता है; उदाहरण के लिए केरल ~6.6%, पुडुचेरी ~6.2% शीर्ष पर थे—यह ICMR (20+) संख्याओं से सीधे तुलनीय नहीं है, पर रैंकिंग की दिशा मिलती है। 

4) Analytics से क्या सीखें? (Actionable insights)

  1. हॉट-स्पॉट क्लस्टरिंग: पश्चिम/दक्षिण में (गोवा, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, पंजाब/UTs) प्रिवेलेंस ऊँचा—यहाँ secondary prevention (स्क्रीनिंग + कंट्रोल) पर फोकस जरूरी। 
  2. उभरते जोखिम-पट्टी (Prediabetes-heavy): कुछ कम-HDI राज्यों में प्री-डायबिटीज़ ज्यादा—यह incident diabetes का पाइपलाइन है; लक्षित लाइफस्टाइल/कम्युनिटी-आधारित कार्यक्रम असरदार होंगे। 
  3. केयर-गैप: पहचान (Dx) से कंट्रोल तक ड्रॉप-ऑफ बड़ा है—दवा की निरंतर उपलब्धता, adherence सपोर्ट, और ग्लाइसेमिक मॉनिटरिंग को प्राथमिकता दें। 
  4. मोटापा/एब्डॉमिनल ओबेसिटी लिंक: ICMR की हालिया उप-अध्ययन रिपोर्टें “मेटाबॉलिक ओबेसिटी” के अधिक प्रचलन की तरफ इशारा करती हैं—BMI सामान्य होने पर भी जोखिम रह सकता है; कमर-घेरा जैसे मेट्रिक्स जुटाना फायदेमंद है। 

5) नीति व प्रोग्रामिंग के लिए सुझाव (State-wise Targeting)

  1. हाई-बर्डन राज्य/UTs (गोवा, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, पंजाब/चंडीगढ़):
  2. Intensive glycemic control क्लीनिक, CGM/SMBG एक्सेस, फुट-केयर/CKD स्क्रीनिंग पैकेज।
  3. लार्ज पॉपुलेशन, लो-टू-मॉडरेट प्रिवेलेंस (U.P. आदि):
  4. बड़े पैमाने की opportunistic + community screening (30+), काउंसलिंग, और दवा पालन (adherence) प्रोग्राम।
  5. केयर कंटिन्यूअम गेप भरना (ऑल-इंडिया):
  6. Dx→Tx→Control ड्रॉप-ऑफ घटाने के लिए tracking + reminder + refill सिस्टम; पब्लिक सप्लाई-चेन में मेटफॉर्मिन/सल्फोनाइलयूरिया/एआरबी आदि की सुनिश्चित उपलब्धता—कई राज्यों ने इसे गुणवत्ता-स्कोर से जोड़ा भी है। (ये 

6) Limitations (ये संख्याएँ कैसे पढ़ें)

  1. आयु-वर्ग का फर्क: ICMR (20+) बनाम NFHS-5 (15–49)—प्रतिशतों की सीधी तुलना न करें; ट्रेंड/रैंकिंग समझने के लिए साथ-साथ पढ़ें। 
  2. समय-विलंब: कई आँकड़े 2019–21 की फील्डिंग पर आधारित हैं; 2023 के प्रकाशन/रिपोर्टिंग तक अपडेट हुए—लेकिन 2025 में भी नई शहरीकरण/जीवनशैली-परिवर्तन से तस्वीर और बदली हो सकती है। 

7) झटपट सार

  1. भारत में वयस्क डायबिटीज़ प्रिवेलेंस ~11.4%; ~10.1 करोड़ लोग प्रभावित (ICMR-INDIAB के समेकित अनुमानों पर आधारित रिपोर्टिंग)। 
  2. हाई-प्रिवेलेंस: गोवा (~26.4%), केरल (~24%), साथ में तमिलनाडु/पुडुचेरी/पंजाब/चंडीगढ़। लो-प्रिवेलेंस: उत्तर प्रदेश (~4.8%)। 
  3. केयर-गैप: निदान-दवा-कंट्रोल में बड़ा “ड्रॉप-ऑफ”, इसलिए प्रोग्रामों का फोकस सिर्फ स्क्रीनिंग नहीं, कंट्रोल तक हो। 

संदर्भ (Key Sources)

ICMR–INDIAB (Lancet, 2023) – राष्ट्रीय/राज्य-स्तर प्रिवेलेंस; NFHS-5 – 15–49 आयु समूह; जामा (Care Continuum); और विश्वसनीय मीडिया/सरकारी उत्तर जिनमें ICMR निष्कर्षों का state-wise सार है। 

संख्यउच्च मानव विकास सूचकांक (HDI), शहरीकरण, जीवनशैली और मोटापा/एब्डॉमिनल ओबेसिटी का पैटर्न—इन उच्च-प्रिवेलेंस राज्यों में आम है। वहीं कुछ कम-HDI राज्यों में प्री-डायबिटीज़ > डायबिटीज़ का अनुपात दिखा, जो आने वाले वर्षों में नए केस में बदल सकता है।

क्यों फर्क? उच्च मानव विकास सूचकांक (HDI), शहरीकरण, जीवनशैली और मोटापा/एब्डॉमिनल ओबेसिटी का पैटर्न—इन उच्च-प्रिवेलेंस राज्यों में आम है। वहीं कुछ कम-HDI राज्यों में प्री-डायबिटीज़ > डायबिटीज़ का अनुपात दिखा, जो आने वाले वर्षों में नए केस में बदल सकता है। 

ICMR-INDIAB की राज्य-वार एनालिसिस बताती है कि दक्षिण और पश्चिम के कई राज्य/UT ऊँचे प्रिवेलेंस दिखाते हैं, जबकि उत्तरी/पूर्वी के कुछ बड़े राज्यों में दरें तुलनात्मक रूप से कम हैं। नीचे चयनित राज्यों/UTs के विश्वसनीय, प्रकाशित आँकड़े:

ICMR-INDIAB की राज्य-वार एनालिसिस बताती है कि दक्षिण और पश्चिम के कई राज्य/UT ऊँचे प्रिवेलेंस दिखाते हैं, जबकि उत्तरी/पूर्वी के कुछ बड़े राज्यों में दरें तुलनात्मक रूप से कम हैं। नीचे चयनित राज्यों/UTs के विश्वसनीय, प्रकाशित आँकड़े:

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