पंचकर्म थेरेपी से डायबिटीज़ में राहत: विज्ञान, अनुभव और उम्मीद
डायबिटीज़—एक ऐसी बीमारी जो शरीर को अंदर से खोखला कर देती है, हर अंग पर असर डालती है, और कभी-कभी तो लगता है मानो ज़िंदगी की रफ्तार थम सी गई है। लेकिन क्या आयुर्वेद की पंचकर्म थेरेपी इस जटिल समस्या के समाधान की कुंजी हो सकती है? शोध, अनुभव और परंपरा—तीनों की रोशनी में इस सवाल का जवाब तलाशते हैं।
पंचकर्म: सिर्फ सफाई नहीं, संपूर्ण सुधार
पंचकर्म, यानी शरीर की गहराई से सफाई। इसमें वमन (उल्टी), विरेचन (दस्त), बस्ती (तेल या काढ़ा द्वारा एनिमा), और नस्य (नाक में औषधि) जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं। इन विधियों का मकसद है—शरीर में जमी गंदगी को बाहर निकालना, अंगों को फिर से चुस्त-दुरुस्त करना, और पैंक्रियाज के फंक्शन को बेहतर बनाना। सोचिए, एक ऐसा इलाज जो न सिर्फ ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है, बल्कि शरीर की मशीनरी को फिर से दुरुस्त कर देता है।
कई बार तो रिसर्च में यह भी सामने आया है कि जिन मरीजों का शुगर लेवल 350 था, पंचकर्म के बाद वह 200 तक आ गया। किसी को एक हफ्ते में असर दिखा, किसी को पंद्रह दिन में। यह सब केंद्रीय आयुष मंत्रालय के तहत चल रहे बड़े पैमाने के शोध में देखा गया है, जिसमें 1050 मरीजों पर अध्ययन हो रहा है। शुरुआती नतीजे डॉक्टरों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं।
विज्ञान और अनुभव का संगम
डॉक्टर आरपी पराशर, दिल्ली नगर निगम के चीफ मेडिकल ऑफिसर (आयुर्वेद), बताते हैं कि पंचकर्म की खास विधियां—खासकर बस्ती चिकित्सा—इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाती हैं, जिससे ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म सुधरता है। यानी, सिर्फ ब्लड शुगर ही नहीं, पेट और पाचन भी दुरुस्त रहते हैं। लेकिन सावधानी जरूरी है: हर डायबिटीज़ मरीज के लिए पंचकर्म उपयुक्त नहीं। अगर शुगर बहुत ज्यादा है, शरीर कमजोर है, या किडनी की बीमारी है, तो डॉक्टर की सलाह के बिना पंचकर्म न कराएं।
विशेष विधि: विरेचन—21 दिन में असर!
वाराणसी के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में 60 मरीजों पर पंचकर्म की विरेचन विधि का शोध हुआ। नतीजे हैरान करने वाले थे—21 से 36 दिन में ही शुगर लेवल में बड़ा सुधार
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